"सासू मां, मैं ऐशो आराम के लिए बनी हूं – जब नई नवेली बहू ने घर के कामों से कर दी बगावत!"
"रशिली रश्मि की बगावत – सासू मां मिठे से बोली, 'मैं ऐशो आराम के लिए बनी हूं!' कामचोर मिजाज बहू ने घर के कामों से कर दी छुट्टी!"
नाम (Character Rename):
- सास: मिठे देवी
- बहू: रशिली रश्मि
- पति: लचीला लल्लन
- ननद: चटपटी चम्पा
- पड़ोसी: झलकन जोशी
रशिली रश्मि की बगावत – सासू मां मिठे से बोली, 'मैं ऐशो आराम के लिए बनी हूं!' जब कामचोर मिजाज बहू ने घर के कामों से कर दी छुट्टी!
कहानी शुरू होती है एक मोहल्ले की, जहां मिठे देवी अपने बेटे लचीला लल्लन और बहू रशिली रश्मि के साथ रहती हैं।
शादी को अभी दो हफ्ते ही हुए थे और मोहल्ले की चटपटी चम्पा, जो कि रशिली की ननद थी, हर बात पर ताना मारने में आगे रहती थी। लेकिन रशिली रश्मि कोई मामूली बहू नहीं थी।
वो आधुनिक सोच और बोल्ड स्टाइल की मल्लिका थी। उसने आते ही कह दिया था, "मांजी, मैं घर की शोभा बढ़ाने के लिए बनी हूं, झाड़ू-पोंछा करने के लिए नहीं!"
मिठे देवी को ये बात हजम नहीं हुई, उन्होंने सोचा नई पीढ़ी सुधर ही नहीं सकती। पर लल्लन को रशिली की हर अदा प्यारी लगती थी। वो बोला, “मां, जमाना बदल गया है। अब बहुएं सिर पर पल्लू रखकर नहीं, स्मार्टफोन लेकर चलती हैं।”
एक दिन झलकन जोशी, पड़ोसी, ने देखा कि रशिली इंस्टा रील्स बना रही है जिसमें वो "सासू मां से छुटकारा कैसे पाएं?" टाइप कंटेंट डाल रही है। उसने मिठे देवी को दिखा दिया। घर में भूचाल आ गया।
पर रशिली ने सबके सामने कहा, "मैं काम नहीं करूंगी, पर पैसे कमा कर दूंगी। डिजिटल क्वीन बनूंगी और सबका नाम रोशन करूंगी।"
अब मोहल्ले में चर्चा है कि रशिली रश्मि ने 'बहू बगावत आंदोलन' शुरू कर दिया है। मिठे देवी अब फेसबुक पर रील्स सीख रही हैं ताकि रशिली की टक्कर की वीडियो बना सकें। लल्लन दोनों के बीच मेमेस बना कर पोस्ट करता है और चम्पा अभी भी ताने मार रही है।
कहानी से सीख: जब सास और बहू दोनों इंटरनेट यूजर हों, तो घर एक रियलिटी शो बन ही जाता है।
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*मन मोहिनी त्रिकाल वश्य कुरू कुरू स्वाहा*
यदि काम नही बनेगा तो मेरे Blog
2.कहानी का दुसरा मोड़ नये किरदार
"हाय! मैं कितनी खूबसूरत हूं, कॉलेज में सब दीवाने थे मेरे पीछे। पर इस घर में मेरी कदर ही नहीं!"
इतने में बाहर से सासू मां शिमला देवी की बुलाहट गूंजी –
"शशि बहू, सब खेत पै जाण लागरे हैं, नाश्ता परोसेगी के नहीं?"
शशि के मन में तुरंत बिजली कड़क पड़ी –
"बस यही कमी थी, अभी से काम की झड़ी लग गई। खेती करने जा रहे हैं या कोई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस?"
मन ही मन बड़बड़ाती हुई शशि रसोई की तरफ चल दी।
रसोई में जेठानी पराठे बेल रही थी, सासू मां छाछ बिलो रही थी। शशि को तिरछी नजरों से घूरा और फिर सब काम में लग गए। शशि ने जैसे-तैसे नाश्ता परोसा, सब मर्द खेत की ओर रवाना हो गए।
पर कहानी यहीं थमी नहीं –
जेठानी बोली, "नाश्ता बन गया, अब रसोई साफ कर दे, फिर बाड़े की सफाई करनी है।"शशि की आंखें फटी की फटी रह गई –
"हे भगवान! अब गोबर भी उठाना पड़ेगा?"
"क्या जरुरत थी घर में गाय पालने की? जब खेत पे दो दर्जन गाय हैं, तो ये दो घर पे क्यों?"
गोबर की कल्पना मात्र से ही उसकी नाक सिकुड़ गई।
फिर जेठानी बोली –
"चल शशि, बाड़े की सफाई कर लें। काम जल्दी हो जाएगा।"पर शशि वहीं खड़ी रही, झाड़ू तक नहीं उठाया।
अब आई एंट्री सासू मां शिमला जी की –
"क्या बात है बहू, झाड़ू भी नहीं उठा सकती?"शशि ने पूरी ठसक से बोला –
"मुझसे ये सब नहीं होगा। मैं घर के कामों के लिए नहीं बनी!"
पूरा आंगन जैसे थम सा गया।
सासू मां ने ताव में कहा –
"तो बता, किस काम के लिए बनी है तू?"
"मैं ऐशो-आराम के लिए बनी हूं, नौकर नहीं!"
शशि का जवाब सुन सब सन्न।
सासू मां चुपचाप कमरे में चली गईं। शाम तक कोई शशि से कुछ नहीं बोला।
दूसरे दिन सुबह –
शशि 8 बजे उठी, तो रसोई खाली! कोई नाश्ता नहीं! दीपक सामने आया,
"मां ने कह दिया है, अब सब अपनी रोटी खुद कमाओ। वो रिटायर हो गई हैं!"
"मतलब?"
"मतलब घर अब खुद संभालो। भाभी-भाई तक अपना इंतजाम देखने लगे हैं।"
उसी वक्त घर में एक नई आवाज गूंजी –
"कमला, चाय बना दे!"कमला नाम की एक नौकरानी जैसी महिला अंदर आई।
शशि का चेहरा देखने लायक था।
दीपक ने धीरे से कहा –
"मां ने तुझे असली कमला दिखा दी। अब सोच, क्या तू कमला बनना चाहती है या घर की रानी?"
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अब कहानी में हरियाणवी तड़का,
"रशिली रश्मि की बगावत – जब बहू बोली, मैं ऐशो-आराम के लिए बनी हूं, घर की नौकरानी नहीं!"
कहानी:
गांव की मिट्टी से निकली रशिली रश्मि, जो शहर से ब्याह कर आई थी, सोची थी कि अब ऐशो-आराम की जिंदगी शुरू होगी। लेकिन मिठे देवी, उसकी सासू मां, हरियाणवी अंदाज़ में पहली सुबह ही हुक्म दे बैठी — "उठ बहू, झाड़ू-पौंछा कर, दूध भी तू ही लावेगी, और नहाणे के बाद चाय बना दई।"
रशिमी ने आंख मटका के जवाब दिया — "सासू मां, मैं तो बीए पास हां, घर की नौकरानी ना। मेरे नखरे सहने वाले बहुत मिल जाएंगे, पर बर्तन मांजने का तो कोर्स किया ना था मैंने!"
सास बोली: "बीए हो या एमए, मेरे घर में बहू ही सुबह के पहले सूरज से पहले उठती है।"
पर कहानी में ट्विस्ट आया, जब लल्लन (पति) बोला — "रशिमी थारी बात में दम से, अब तेरे साथ बराबरी करूंगा।" और उसी रात बेचारा ऑनलाइन कोर्स कर बीए पास हो गया, ताकि बीवी से पीछे ना रह जाए।
अब सास जल-भुन के कहे: "अरे ये के कर दिया इस बहुरिया ने? मेरा छोरा तो भाभी की चाकरी में लग गया!"
नंद भी जलती रही, क्योंकि अब उसे कोई तवज्जो ना मिली, और उसने भी पीठ पीछे कह डाला — "भाभी तो स्मार्ट है, पर चालू भी कम ना!"
रशिमी ने अब ठान लिया — "या घर में या तो सब मिलके काम करेंगे, या फिर काम के लिए मेड रखो, मैं तो आराम करूंगी, वरना मैके चली जाऊंगी, इंस्टाग्राम पे लाइव आ जाऊंगी!"